मां सरस्वती की पूजा

 

बसंत पंचमी के दिन क्यों होती है मां सरस्वती की पूजा?

 

    पुराणों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ही माता सरस्वती का जन्म हुआ था. मन्यता है कि सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा के मुख से वसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था. इसलिए इस दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है.
 

मां सरस्वती की जी की पूजा विधि

शास्त्रों में बताया गया है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से पहले व्यक्ति को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करना चाहिए व साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। मां सरस्वती की पूजा के लिए पीले रंग का वस्त्र शुभ माना जाता है। इसके बाद ईशान कोण में मां सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और उनको पीले रंग का वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद माता को हल्दी, चंदन, रोली, केसर, पीले रंग का पुष्प, मिठाई और अक्षत अर्पित करें। पूजा स्थान पर किताब का छोटा वाद्य यंत्र जैसे बांसुरी को भी स्थापित करें और इनकी उपासना करें। इसके बाद मां सरस्वती को समर्पित मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती अवश्य करें।

पूजन सामग्री की लिस्ट

    • पीले रंग के फूल और माला
    • लकड़ी की चौकी
    • पीले रंग का कपड़ा बिछाने के लिए
    • सफेद तिल के लड्डू
    • सफेद धान के अक्षत
    • पके हुए केले की फली का पिष्टक
    • आम के पत्ते
    • बैठने के लिए आसन
    • धूप या अगरबत्ती
    • घी
    • दीपक और बाती
    • मौसमी फल
    • गुड़
    • हल्दी, कुमकुम
    • जल के लिए कलश या पात्र
    • माचिस
    • देवी सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर
    • नारियल
    • भोग के लिए मिष्ठान, केसर का हलवा या फिर केसरिया भोग
    • सुपारी
    • पूजा के लिए थाली
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